आज सुरों के बेताज बादशाह और फिल्म निर्माता हेमंत कुमार (Hemanta Kumar) की 101वीं जयंती है। बता दें कि एक बंगाली परिवार से वास्ता रखने वाले हेमंत का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हुआ।
और, 20वीं सदी के शुरुआती वर्षों के दौरान उनका परिवार कोलकाता में बस गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दिक्षा यहीं हुई।
कोलकाता में ही उनकी भेंट सुभाष मुखोपाध्याय से हुई, जो आगे चलकर लेखक बन गए। 12वीं पास करने के बाद, हेमंत ने यादवपुर यूनिवर्सिटी में इंजीनयरिंग में दाखिला ले लिया, लेकिन उनकी इच्छा कुछ अलग करने की थी।
इसलिए कुछ दिनों के बाद उन्होंने अपने दोस्त से प्रेरित होकर लेखनी में भी हाथ आजमाया और उनकी कई लघु कहानियां प्रकाशित भी हुईं। लेकिन, 1930 के दशक में उन्होंने संगीत को ही अपना कैरियर बनाने का फैसला किया।
चूंकि, हेमंत कुमार (Hemanta Kumar) की आवाज बहुत मधुर थी और उन्हें बचपन से ही गाने से एक खास लगाव था। उन्होंने अपने दोस्त सुभाष की मदद से 1933 में ऑल इंडिया रेडियो के लिए अपना पहला गाना गाया।
इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और ‘है अपना दिल तो आवारा’, ‘बेकरार करके हमें यूं न जाइये’, ‘याद किया दिल ने’, ‘आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं’ जैसे कई एक के बाद एक सुपरहिट गाने दिए।
हेमंत को अपने जीवन में गीतकार शैलेश दासगुप्त से काफी कुछ सीखने को मिला। इसके अलावा, उन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उस्ताद फैय्याज खान से मिली।
उनकी मृत्यु 26 सितंबर 1989 को कोलकाता में हुई।
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