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नहीं रहे हिन्दी सिनेमा के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार, 98 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

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Dilip Kumar Death

हिन्दी सिनेमा के ट्रेजडी किंग कहे जाने वाले दिलीप कुमार का आज निधन (Dilip Kumar Death) हो गया। वह 98 साल के थे। बता दें कि वह पिछले कुछ समय से उम्र संबंधित कई परेशानियों का सामना कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

सांस लेने में समस्या के बाद आखिरी बार उन्हें बीते 30 जून को मुंबई स्थित हिंदुजा अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उनकी पत्नी सायरा बानो साथ रहीं और उनकी तबीयत को लेकर लगातार जानकारी दे रही थीं। 

बता दें कि दो दिन पहले उनकी हालत स्थिर थी, लेकिन बुधवार को सुबह साढ़े सात बजे दिलीप कुमार इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। 

उनकी मौत की खबर सुनकर, सिनेमा जगत में शोक की लहर दौड़ गई और कई हस्तियों ने अपना शोक व्यक्त किया।

लंबे समय से बीमार रहने के बाद आज दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार का निधन (Dilip Kumar Death) हो गया। इस खबर की पुष्टि अभिनेता के भतीजे रेहा अहमद ने इंडिया टीवी से की।

बता दें कि 11 दिसंबर 1922 को जन्मे दिलीप कुमार ने अपने फिल्मी कैरियर की शुरुआत 1944 में ‘ज्वार भाटा’ के जरिए की और अपने पाँच दशक के लंबे फिल्मी कैरियर में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक फिल्में दीं।

मुगल-ए-आजम, देवदास, नया दौर, राम और श्याम उस सूची में कुछ चुनिंदा फिल्में हैं। वह आखिरी बार ‘किला’ फिल्म में नजर आए थे, जो 1998 में रिलीज हुई थी।

मुगल-ए-आजम’, ‘देवदास’, ‘नया दौर’, ‘राम और श्याम’ जैसी हिट फिल्में दीं। वह आखिरी बार 1998 में आई फिल्म ‘किला’ में नजर आए थे। 

Dilip Kumar Death

बता दें कि पाकिस्तान के पेशावर में जन्मे दिलीप कुमार का वास्ताविक नाम मुहम्मद युसुफ खान था। बाद में, उनके पिता मुंबई आकर बस गए। दिलीप कुमार शुरू से ही एक एक्टर बनना चाहते थे। इसलिए उन्होंने अपना नाम बदल लिया, ताकि उन्हें अधिक से अधिक पहचान मिले।

दिलीप कुमार ने अपने जीवन में दो शादियां की। उनकी पहली पत्नी का नाम सायरा बानो है, जिनसे उन्होंने 1966 में शादी रचाई थी। फिर, 1980 में आसमां से शादी की थी, लेकिन यह शादी कुछ वर्षों तक की चली और दिलीप-सायरा फिर से एक हो गए।

फिल्मों में उल्लेखनीय योगदानों के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवार्ड, किशोर कुमार सम्मान, मुंबई का शेरिफ, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के साथ-साथ 1998 में पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज भी दिया गया था। 

फिल्मों के अलावा वह राजनीति में भी सक्रिय रहे और साल 2000 में उन्हें राज्यसभा का सदस्य मनोनित किया गया।

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