बीते दिन राज्य सभा में सिनेमैटोग्राफ संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया. इस विधेयक के अंतर्गत अब पायरेसी करने के दोषियों को सख्त सजा मिलेगी. इस विधेयक के माध्यम से साल 1952 के मूल कानून में संशोधन किया गया है.
फिल्मों को अभी तक जो ‘यूए’ प्रमाणपत्र दिया जाता है, उसे अब तीन आयुवर्ग श्रेणियों ‘यूए 7 प्लस’, ‘यूए 13 प्लस’ और ‘यूए 16 प्लस’ में रखा गया है. इसकी एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अभी तक सेंसर बोर्ड फिल्मों को 10 वर्ष के लिए सर्टिफिकेट प्रदान करता था. लेकिन, अब दस वर्ष के स्थान पर हमेशा के लिए सेंसर फिल्मों को यह प्रमाण पत्र देगा.
गुरुवार को पास किए गए इस विधेयक में सिनेमा की अनधिकृत रिकार्डिंग एवं प्रदर्शन को रोकने और फिल्म प्रमाणन की प्रक्रिया को बेहतर बनाने का प्रावधान किया गया है. विधेयक में फिल्म पायरेसी करने पर तीन लाख रूपये तक का जुर्माना और तीन साल तक की सजा का प्रावधान है. दरअसल, कई बार ऐसा होता है जब सिनेमा हॉल में रिलीज के कुछ घंटों बाद फिल्म ऑनलाइन लीक हो जाती है. इससे फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर नकारात्मक फर्क पड़ता है. पायरेसी के नए और सख्त प्रावधान ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए किए गए हैं.
केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने विधेयक के संदर्भ में राज्यसभा को जानकारी देते हुए बताया कि नए प्रावधान लाने के तीन प्रमुख कारण हैं. पहला कारण फिल्मों की अनधिकृत रिकार्डिंग और उसके ऑनलाइन चलन पर रोक लगाना है. दूसरा कारण लाइसेंसिंग की प्रक्रिया को सरल बनाना है. तीसरा कारण उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के विभिन्न निर्णयों के अनुरूप मूल कानून में संशोधन करना है.