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मासिक आर्काइव: मई 2021

देश में बढ़ रहे हैं ब्लैक फंगस के मामले, यहाँ जानिए इस दुर्लभ बीमारी के बारे में!

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Black Fungus

आज भारत कोरोना महामारी की दूसरी लहर के जूझ रहा है। इसी बीच देश के विभिन्न हिस्सों से खबरें आ रही हैं कि कोरोना से उबर रहे लोग म्युकरमायकोसिस यानी काला फूंफद (Black Fungus) नामक बीमारी की चपेट में आ रहें हैं। 

यह एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें शरीर के अलग-अलग हिस्सों पर निशान बनते हैं। बताया जा रहा है कि यदि यह बीमारी शरीर के अंदर पहुँचने लगे, तो जानलेवा साबित हो सकता है। 

इस बीमारी का सबसे ज्यादा असर कोरोना वायरस से उबर चुके मधुमेह रोगियों में देखने को मिल रहे हैं।

हवा, मिट्टी और यहाँ तक कि फल और सब्जियों के जरिए भी फैलने वाली यह बीमारी इतनी खतरनाक है कि यह लोगों को हमेशा के लिए अंधा बना सकती है और लोगों के जबड़े और नाक की हड्डी को गला सकती है। यदि समय पर बेहतर इलाज न मिले, तो इससे उनकी जान भी जा सकती है।

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण

यदि आपको बुखार, सरदर्द, खांसी, साँस लेने में दिक्त और आँख और नाक के पास दर्द हो रहा है, तो आपको काला फूंफद (Black Fungus) संक्रमित होने का खतरा है। ऐसे किसी संभावित खतरे की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

Black Fungus

यदि किसी में इस तरह के लक्षण महसूस हों, तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय रहते इलाज शुरू कर दिया जाए, तो एंटीफंगल दवाओं से इसे ठीक किया जा सकता है। जिन लोगों में यह स्थिति गंभीर हो जाती है, उनमें प्रभावित डेड टिशूज़ को हटाने के लिए सर्जरी की भी जरूरत पड़ सकती है। ध्यान रहे कि ऐसी समस्या आने पर बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न खाएं। 

क्या है इसका इलाज

ब्लैक फंगस का इलाज एंटी फंगल के जरिए किया जाता है। गंभीर परिस्थितियों में सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। इस दौरान सुगर लेवल को कंट्रोल करना सबसे जरूरी है। इस बीमारी के इलाज में 30 से 45 दिन का समय भी लग सकता है।

कहाँ है सबसे ज्यादा खतरा

देश में ब्लैक फंगस के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में देखने को मिल रहे हैं। तेजी से बढ़ते मामलों को देखते हुए, इन राज्यों में अस्पतालों में अलग से वार्ड बनाए जा रहे हैं।

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Humanoid Robot

मुम्बई में रहने वाले दिनेश पटेल पेशे से एक शिक्षक हैं। वह केन्द्रीय विद्यालय, आईआईटी पवई में बच्चों को विज्ञान पढ़ाते हैं। दिनेश ने हाल ही में, एक ऐसे रोबोट (Humanoid Robot) को बनाया है जो नौ भारतीय भाषाओं और 38 विदेशी भाषाओं में आपसे बात कर सकती है। 

उन्होंने अपने इस रोबोट को शालू नाम दिया है और उनका दावा है कि पूरी दुनिया में यह अपने तरह का पहला रोबोट है। 

इस रोबोट की विशेषताओं को लेकर दिनेश बताते हैं कि शालू एक मानवनुमा रोबोट (Humanoid Robot) है और इसका इस्तेमाल बच्चों को पढ़ाने से लेकर घरेलू कार्यों तक में किया जा सकता है। 

वह बताते हैं कि यह अंग्रेजी, हिंदी, भोजपुरी, मराठी, गुजराती, बंगाली, तमिल, तेलुगू समेत नौ भारतीय भाषाओं और 38 विदेश भाषाओं में न सिर्फ आपसे बात कर सकती है, बल्कि विज्ञान, गणित, समाज विज्ञान जैसे विषयों से जुड़ी कई जटिल सवालों का जवाब भी दे सकती है। 

Humanoid Robot

एक और खास बात है कि इस रोबोट को बनाने के लिए सभी मशीनों को भारतीय बाजार से ही खरीदा गया है और इसे बनाने में महज 50 हजार रुपए खर्च हुए।

दिनेश बताते हैं कि उन्हें यह रोबोट बनाने की प्रेरणा, रजनीकांत की सुपरहिट फिल्म, रोबोट से मिली, जिसमें वह इंसानों की मदद के लिए एक ऐसे मशीन को बनाते हैं, जो मानवीय संवेदनाओं को समझ सकता है।

उनके अनुसार, यह मशीन घर में बूढ़ों और बच्चों के लिए एक साथी की भूमिका को निभाने में भी सक्षम है।

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ऑस्ट्रेलियाई मीडिया का दावा – चीन 2015 से कर रहा था कोरोना महामारी की तैयारी

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Chinese

आज पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। इस वायरस का पहला मामला 2019 में चीन में पाया गया था। इतने अरसे के बाद, एक ऑस्ट्रेलियाई मीडिया ने दावा किया है कि चीन इस महामारी की तैयारी पिछले छह वर्षों से कर रही है। द वीकेंड ऑस्ट्रेलियन के अनुसार, चीन कोरोना वायरस को जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की तैयारी 2015 से कर रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि  चीन की सेना (Chinese Military) और वैज्ञानिक कोविड-19 के विभिन्न स्ट्रेन पर शोध कर रहे थे और उनका इरादा इसे तीसरे विश्वयुद्ध की स्थिति में जैविक हथियार की तरह इस्तेमाल करने का था। 

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यह वायरस इतना असाधारण है कि किसी चमगादड़ के बाजार से ऐसे ही नहीं फैल सकता है और यह मानना पूरी तरह से गलत है।

इसके साथ ही, रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि चीनी वैज्ञानिकों (Chinese Scientists) की सोच, इस वायरस को महामारी के तौर विकसित कर, सामने वाले देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को खत्म कर देने की भी थी, जिससे पूरी दुनिया में चीन का वर्चस्व बढ़ सके।

Chinese coronavirus

इस रिपोर्ट के जारी होने के बाद, दुनिया में चीन की सरकार पर फिर से सवाल उठ रहे हैं। याद दिला दें कि पिछले साल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई बार खुले तौर पर, कोरोना वायरस को चीनी वायरस कहा था और दावा किया था कि इस वायरस को पूरी दुनिया की स्वास्थ्य व्यवस्था को तबाह करने के लिए, चीन के वैज्ञानिकों के द्वारा तैयार किया गया है और उनकी इंटेलिजेंस एजेंसी के पास इस बात के प्रमाण भी हैं।

लेकिन, ट्रम्प के राष्ट्रपति पद के हटने के बाद इस मामले में ज्यादा चर्चा नहीं हुई। 

बता दें कि आज पूरी दुनिया में 16 करोड़ से अधिक लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं और इससे सिर्फ आधिकारिक तौर पर करीब 33 लाख लोगों की मौत हो चुकी है।

वहीं, भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने परिस्थितियों को और अधिक गंभीर बना दिया है और अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में हर दिन हजारों लोगों की जान जा रही है।

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आज कोरोना वैश्विक महामारी के कारण पूरी मानव जाति पर संकट के बादल छाए हुए हैं। इस खतरनाक वायरस की रोकथाम के लिए पूरी दुनिया में कई स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं।

सरकारों ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लॉकडाउन भी लगाए, लेकिन भारत जैसे विकासशील देश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी, जो स्वाभाविक भी है।

विपदा की इस घड़ी में, इंसानी जज्बातों से भरी कुछ कहानियाँ भी हमें सुनने के लिए मिल रही है, जो हमारे लिए इंसानियत पर विश्वास को कायम कर इन निराशाओं के बीच एक नई उम्मीद जगा रहे हैं। कोरोना संकट के इस दौर में किसी ने बेघर को खाना खिलाया तो किसी ने घर लौटते मजदूरों को पानी पिलाया। हमें यह हमेशा याद रखने की जरूरत है कि मानवता से जुड़ी कोई भी कोशिश छोटा या बड़ा नहीं होता है।

कुछ ऐसी ही एक कहानी है राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर के रहने वाले अजय अग्रवाल की, जहाँ वह मानवता के प्रति अपने समर्पण के कारण लोगों का दिल जीत रहे हैं। 50 वर्षीय अजय, एक दवाई दुकान चलाते हैं और उन्होंने अपने कंधे पर घर-घर तक दवाईयां पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। वे दिन के 12 घंटे अपनी फार्मेसी की दुकान खुली रखते हैं, ताकि किसी भी ग्राहक को कोई परेशानी न हो।

इस विषय में, अजय अग्रवाल बताते हैं कि उनके पास नियमित ग्राहकों की अच्छी संख्या है, जिनमें बुजुर्ग सबसे अधिक हैं। वे अपने इलाके में एक विश्वसनीय दवा विक्रेता हैं, जिसके कारण हाइपरटेंशन, डायबिटीज, किडनी, हार्ट समेत कई गंभीर बीमारियों के मरीज उनकी दुकान के उपर निर्भर हैं। ऐसे स्थिति में, मैं उन्हें चिन्ता में नहीं छोड़ सकता हूँ। यदि उन्हें समय पर दवाई नहीं मिली तो उनकी परेशानी बढ़ सकती है। जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों में नियमित रूप से दवा का सेवन न करना काफी घातक साबित हो सकता है। 

जयपुर में अजय अग्रवाल की दुकान, जवाहर नगर में सवाई मान सिंह हॉस्पिटल के नजदीक स्थित है। वे सुबह 7 बजे से लेकर रात में 10 बजे तक अपनी दुकान खुली रखते हैं, जबकि आपात स्थिति में वह लोगों के लिए 24 घंटे उपलब्ध होते हैं।

अजय बताते हैं कि उनके पास पहले 13 लोग काम करते थे, लेकिन अभी सिर्फ छह लोग हैं। लॉकडाउन के कारण बाकी लोगों को अपने गांव जाना पड़ा। संकट की इस घड़ी में संसाधनों की कमी हो रही है और जिम्मेदारियाँ बढ़ रही है।

यही नहीं, पहले भी अजय ने हजारों घर लौटते मजदूरों को मास्क और सेनेटाइजर बांटा। इन्होंने दुकान से हो कर गुजरते जरूरतमंदों को पानी की बोतलें, पेनकिलर और छोटे बच्चों के लिए खाने की भी व्यवस्था की।

बात दें कि अजय अग्रवाल दवाई दुकान यूनियन के हेड भी हैं और सभी दुकान मालिकों के साथ मिलकर वह निराश्रय और बेसहारा लोगों को खाना खिलाने के मुहिम पर भी हैं।

दुकान, अस्पताल को करीब होने के कारण अजय अग्रवाल कोरोना वायरस से बाक़ियों के मुकाबले अधिक खतरे में भी हैं। जिसके बार में वह कहते हैं कि हॉस्पिटल के निकट दुकान होने के चलते मैं अधिक खतरे में हूँ। मेरी पत्नी मुझे दिन में कई बार फोन करके हाथ धोने और मास्क बदलने के लिए याद दिलाती है। मुझे हमेशा सर्तक रहने की जरूरत है। मैं घर जाने के बाद सबसे पहले नहाता हूँ, उसके बाद ही कोई काम करता हूँ।

अतः विपदा के इस घड़ी में हमें विश्वास रखना चाहिए कि अपने परिवार से पहले अपने कर्तव्य को प्राथमिकता देने वाले अजय अग्रवाल जैसे योद्धाओं की वजह से हम जल्द ही कोरोना महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में सफल होंगे।

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एक बच्चे के मानसिक विकास को कैसे सुधारें?

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child development

विकास एक व्यापक स्वीकृति है! इस स्वीकृति से हमें मात्रात्मक और गुणात्मक दोनों प्रकार के विकासीय गुणों का बोध होता है! वास्तव में, जीवन के आरंभ से अंत के बीच होने वाले मानसिक, शारीरिक, सामाजिक, नैतिक परिवर्तन को ही तो हम विकास कहते हैं! बच्चों के मानसिक विकास (Child Development) का तात्पर्य संज्ञानात्मक योग्यताओं के विकास से है! संज्ञान का तात्पर्य ऐसे मानसिक व्यवहारों से है, जिनका स्वरूप अमूर्त होता है! जिसके अंतर्गत सूझ, प्रत्याशा, विश्वास, अभिप्राय, समस्या समाधान, निर्णय लेने की क्षमता जैसी चीजें शामिल होती हैं!

शिशुओं के मानसिक विकास (Child Development) की अवस्थाएँ

सहज क्रिया की अवस्था

इस अवस्था की अवधि जन्म से एक वर्ष तक होती है! इस दौरान शिशु में सहज क्रिया की प्रधानता  होती है! सहज क्रियाओं का तात्पर्य है; सुषुम्ना द्वारा संचालित होने वाले कार्य! छींकना, चूसना, पलक उठानागिराना, पुतली का खुलनासिकुड़ना आदि सहज क्रिया के उदाहरण हैं!

ऐच्छिक क्रियाओं की अवस्था

इस अवस्था की शुरूआत 16-17 माह तक माना जाता है! इस आयु में बच्चों का मस्तिष्क काफी अधिक परिपक्व हो जाता है! परिणामत: बच्चे ऐच्छिक क्रियाओं को करने में सक्षम हो जाते हैं!

जैसेमाता को देख कर खुश होना, उसकी ओर देखना, अजनबी की ओर नहीं देखना, अजनबी को देख कर रोना, आदि!

उद्देश्यपूर्ण क्रिया की अवस्था

इस अवस्था की शुरुआत लगभग दो वर्ष की आयु से होती है! इस अवस्था में उद्देश्यपूर्ण कार्यों की प्रधानता होती है! खिलौना पकड़ना, खाने की सामग्री को पकड़ना, अजनबी को देख कर दूर हटना, आदि उद्देश्यपूर्ण कार्यों के उदाहरण हैं!

बढ़ती उम्र के साथ उद्देश्यपूर्ण कार्यों की विविधता और जटिलता बढ़ती जाती है, और सामान्यत: 18-19 वर्ष की उम्र तक पहुँचतेपहुँचते बच्चों में लगभग सभी मानसिक योग्यताएँ विकसित हो जाती है! इस विकास क्रम में पर्यावरणीय, सामाजिक, सांस्कृतिक भिन्नताओं के परिणामस्वरूप वैयक्तिक भिन्नतायें हो सकती हैं!

मानसिक विकास (Child Development) को प्रभावित करने वाले कारक

मानसिक स्वास्थ्य का निर्माण करने में बहुत सारे आंतरिक तथा बाह्य कारकों का योगदान होता है। कुछ प्रमुख कारकों का उल्लेख निम्नलिखित है

घरेलू वातावरण

अभिभावकों का व्यवहार, आर्थिक तंगी, अभिभावकों के अपेक्षाओं का बोझ, घर का अनुशासन, परिवार में तनाव इत्यादि बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले महत्त्वपूर्ण कारक हैं!

स्कूल का प्रभाव

स्कूल का वातावरण, अध्यापक का व्यवहार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देना, परीक्षण प्रणाली, और अनुचित पाठ्यक्रम इत्यादि विद्यालयी घटक बच्चे के मानसिकता को खराब करने के अहम कारक हैं!

सामाजिक प्रभाव

मनुष्य जाति, समाज में प्रचलित मूल्यों, आदर्शों, रीतिरिवाजों और मान्यताओं के बीच अपना विकास करता है, एवं समाज द्वारा स्थापित मूल्यों के अनुसार उसे व्यवहार करना पड़ता है! आन्तरिक तनाव, असुरक्षा व् स्वतन्त्रता का अभाव इत्यादि ऐसे सामाजिक कारक हैं जो बच्चों के मानसिक विकास सम्बंधित सकारात्मक और नकारात्मक दिशा को तय करते हैं!

Child Development

शिशुओं के मानसिक विकास में सुधार करने के तरीके

  • बच्चों के मानसिक विकास के लिये उसे ऐसे वातावरण में रखना चाहिये जैसा उसके लिए अनुकूल हो! उससे ज्ञान वर्धक बातें करनी चाहिए!
  • “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और मस्तिष्क होता है!” इस सिद्धान्त के अनुसार उसे केवल उन्हीं चीजों को खिलाई जानी चाहिये जो उसके शरीर, मन और मस्तिष्क के अनुकूल हों। जिससे बच्चों का शरीर और मन, सबल और बुद्धि प्रखर बने!
  • स्कूल भेजने से पूर्व बच्चे को साल-दो साल तक घर पर पढ़ा लेना चाहिए, जिससे कि शिक्षा के अनुकूल उसका बौद्धिक आधार तैयार हो जाए!
  • बच्चों को अधिक से अधिक प्रसन्न और शुद्ध वातावरण में रखने का प्रयास करना चाहिए ना कि उन पर इतना कठोर नियंत्रण स्थापित करना चाहिए कि वे मुरदा-मन हो जाएं, और ना ही इतनी छूट देनी चाहिए कि वे उच्छृंखल हो जाएं!
  • उन्हें भय से मुक्त करने के लिये साहस की कथाएं सुनाई जानी चाहिए और उदाहरण देने चाहिए! उन्हें किसी बात से सावधान तो करना चाहिए लेकिन भयभीत नहीं! धीरे-धीरे कठिन कामों का अभ्यस्त बनाना चाहिए! काम बिगड़ जाने पर उनका उपहास न करके उसके सुधार की शिक्षा देनी चाहिये और समुचित सराहना से प्रोत्साहित करना चाहिए!
  • उनके सामने क्रोध, लोभ, स्वार्थ और असद्भावनाओं की परिस्थितियाँ नहीं आने देना चाहिए! उन्हें अच्छी बातों के लिये प्रोत्साहित तथा बुरी बातों के लिये हतोत्साहित करना चाहिए! उनके सामने कभी भी ऐसी बातें नहीं करनी चाहिए जिससे उनके मन पर कोई नकारात्मक असर पड़े!
  • उन्हें अपने आस-पास घटित हो रही घटनाओं को समझने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाने के लिए प्ररित करना चाहिए!
  • उन्हें सृजनात्मक कार्यों को करने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे कि वो समाज से जुड़ सकें! 
  • उन्हें खेलों के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए, चाहे वो इनडोर हो या आउटडोर!
  • उनसे नियमित रूप से संवाद स्थापित करना चाहिए जिससे कि वो अपनी समस्याओं और अपेक्षाओं को आपसे साझा कर सकें!
  • उन्हें संगीत के प्रति प्रोत्साहित करना चाहिए, जिससे उन्हें अपने तनावों को दूर करने में मदद मिले!
  • उन्हें अनुशासनात्मक और व्यवहारिक ज्ञान देना चाहिए!

अभिभावकों को दूसरों के प्रति दयालुता का भाव दिखाना चाहिए जिससे कि बच्चों को एक सकारात्मक संदेश मिले!

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Fitkari

आज कोरोना महामारी के कारण लोगों की जिंदगी काफी कठिन हो गई है। इससे बचाव के लिए लोग कई घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो सही जानकारी के अभाव में कभी-कभी काफी खतरनाक भी साबित हो सकता है। हाल ही में ऐसा ही एक वीडियो इंटरनेट पर काफी तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दावा किया जा रहा है कि फिटकरी (Fitkari) को पानी के साथ कुल्ला करने से कोविड-19 से पीड़ित होने से बचा जा सकता है।

लेकिन, प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो (PIB) ने इस जानकारी को फर्जी बताते हुए अपने ट्विटर पर लिखा है कि कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके लोगों को डॉक्टर के दिशानिर्देशों के अनुसार ही चीजों का पालन करना चाहिए और वीडियो में जिस तरह से फिटकरी के इस्तेमाल के जरिए इसके रोकथाम को दिखाया गया है, वह दावा पूरी तरह गलत है।

 Fitkari

दरअसल, वीडियो में कोई बाबा अपने अनुयायियों को बता रहे हैं कि लोगों को अपने परिवार को कोरोना वायरस से बचाव के लिए अपने घर में फिटकरी रखनी चाहिए। 

वह आगे बताते हैं कि इस फिटकरी (Fitkari) को हर दिन खाने से पहले एक ग्लास में पानी के साथ अच्छी तरह से मिलाकर कुल्ला करें। यह आपको कोरोना वायरस से संक्रमित होने से बचाएगा।

हालांकि, पीआईबी ने इस दावे को अवैज्ञानिक बताते हुए, फर्जी करार दिया है। 

बता दें कि यदि आप अपने घर में कुछ ऐसा प्रयोग करते हैं, तो आपको इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि, फिटकरी के ज्यादा इस्तेमाल से आपको सांस लेने में दिक्कत होने के साथ-साथ शरीर में छाले पड़ सकते हैं और गले में जलन हो सकती है।

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घर में डिटॉक्स वाटर बनाकर अपनी सेहत को बढ़ाएं, जानिए कैसे?

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Detox Water

हमारे जीवनचर्या का हमारे जीवन पर सीधा असर पड़ता है। आज हमें अपने खान-पान की वजह से आए दिन छोटी-मोटी बीमारियों का सामना करना पड़ता है। इससे बचाव के लिए हमें नियमित अंतराल पर डिटॉक्सिफिकेशन करना जरूरी है। वैसे तो डिटॉक्सिफिकेशन करने के कई तरीके हैं, लेकिन इसके लिए सबसे आसान है वाटर डिटॉक्स (Detox Water)। माना जाता है कि यदि आप इसे घर पर बना रहे हैं, तो तीन-चार घंटों के अंदर ही इसका सेवन कर लें।

बता दें कि वाटर डिटॉक्स (Detox Water) में तुलसी और बेसिल के पानी का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे आपकी सेहत को तुरंत लाभ होता है। इसके साथ ही, नारियल पानी में फलों और तरबूज जैसी चीजों के इस्तेमाल से शरीर में पानी की कमी को पूरा करने में काफी मदद मिलती है।

आइये यहाँ हम आपको बताते हैं कि आप घर पर डिटॉक्स बना कर अपनी सेहत का ध्यान रख सकते हैं:

Detox Water

पालक, हल्दी और पानी से बना डिटॉक्स वॉटर

जैसा कि पालक एक बेहतरीन डिटॉक्सिफाइंग स्त्रोत है। इसे हल्दी में मिलाकर हर दिन एक-दो कप इस्तेमाल करें। संभव हो सके तो, पालक के पत्ते को हर दिन अपने खाने में इस्तेमाल करें। इससे आपकी इम्यूनिटी बूस्ट होती है।

तुलसी और आम

आज बाजार में आम आसानी से उपलब्ध है। यह आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल को कम करता है और इंसुलिन को सुधारता है। वहीं, तुलसी के पत्ते में कई औषधीय गुण होते हैं, जिससे आपको कई बीमारियों में खुद को बचाने में मदद मिलेगी।

चाय

यदि आपको हर सुबह चाय की आदत है, तो इसे बनाने में तीन-चार लौंग, इलायची, अदरक, दालचीनी जैसे पदार्थों का इस्तेमाल करें। यह जब ठंडा हो जाए, तो इसमें शहद और नींबू मिलाकर, इसका सेवन करें। इससे आपको एक नई ऊर्जा मिलेगी।

गुड़ और इमली का करें इस्तेमाल

गुड़ और इमली के सेवन से शरीर में विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट तत्वों की पूर्ति होती है। साथ ही, आप शलजम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलने के साथ ही, कफ से भी राहत मिलती है।

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Whatsapp

आज के दौर में व्हाट्सएप (WhatsApp) विश्व की सबसे अग्रणी इंस्टेंट मैसेंजर कंपनी है। बता दें कि अपने उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए कंपनी नियमित रूप से कुछ न कुछ नया प्रयोग करती रहती है। 

अब बताया जा रहा है कि व्हाट्सएप (WhatsApp) एक ऐसे फीचर को लाने जा रही है, जिसके जरिए आप अपने मन चाहे स्टीकर को आसानी से सर्च कर सकते हैं। साथ ही, कंपनी ने कुछ नए स्टीकर को भी लाया है, जिसमें कोरोना वायरस के लिए दुनिया भर में जारी क्सीनेशन ड्राइव को मदद देने और लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करने के लिए भी स्टिकर शामिल है। इसे वैक्सीन फॉर आल नाम दिया गया है।

WhatsApp

बता दें कि वाट्सएप स्टिकर को खोजने के लिए जिस नई फीचर को लांच करने जा रही है, उससे जरिए चैट बार में जैसे ही आप पहला शब्द लिखेंगे, उसके आधार आपको स्टिकर के विकल्प दिखाए जाएंगे। 

इसके अलावा, व्हाट्सएप भारत में केन्द्र सरकार की मदद से माई गोव कोरोना हेल्प डेस्क नाम से एक ऐसी सुविधा को विकसित कर रही है, जिससे लोगों को कोरोना वायरस के टीके लिए अपने नजदीकी को केन्द्र को खोजने में मदद मिल रही है।

इसके लिए एक वाट्सएप पर एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया गया है और 9013151515 पर हाई बोलते ही आपको पूरी जानकारी मिल जाएगी। यह सुविधा हिन्दी भाषा में भी उपलब्ध है।

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कोरोना वायरस से निपटने के लिए आईआईएससी और आईआईटी के छात्रों ने बनाए मोबाइल एप, जानिए क्या है खासियत

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IISc

कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने के लिए आज पूरी दुनिया में युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहा हैं। इस प्रयास में कई स्तरों पर टेक्नोलॉजी की भी काफी मदद ली जा रही है।

इसी कड़ी में, एक और बड़ी खबर है कि आईआईएससी, बेंगलुरु (IISc Bengaluru) और आईआईटी (IITs) के चारो संस्थानों ने मिल कर कई ऐसे मोबाइल एप डेवलप किए हैं, जिससे कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों से संपर्क में आए लोगों को पहचानने में आसानी हो सकती है।

ऐसा ही एक एप है – गो कोरोना गो। इस एप को आईआईएससी (IISc) के कुछ शोधार्थियों ने मिल कर विकसित किया है। 

यह एक ऐसा एप है जो आपके मोबाइल फोन के ब्लूटूथ और जीपीएस का इस्तेमाल कर आपको, सूचित करेगा कि क्या आप कोरोना वायरस से संक्रमिक किसी शख्स के संपर्क में तो नहीं आए हैं।

इस एप की एक और खासियत है कि यह आपसे दूर के खतरों को भी समझने के लिए एक नेटवर्क एनालिटिक्स का इस्तेमाल करता है। इतना ही नहीं, यह वायरस के प्रसार का भी सटीक आकलन करने में सक्षम है।

IISc

इसके अलावा, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़ के एक बीटेक स्टूडेंट ने भी संपर्क-ओ-मीटर नाम के एक मोबाइल एप को डेवलप किया है। यह एक ऐसा एप है, जो आपके आस-पास के कई फैक्टर को एनालिसिस करने के बाद, एक रिस्क स्कोर जेनरेट करता है, जिसकी मदद से आप कोरोना से बचाव के लिए सभी जरूरी कदम उठा सकते हैं। 

इतना ही नहीं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई के कुछ छात्रों ने मिल कर कोरेनटाइन नाम के एक अन्य मोबाइल एप को विकसित किया है। यह एप कोविड-19 से संक्रमित या उनके संपर्क में आए लोगों को पहचानने में सक्षम है। इतना ही नहीं, यदि कोई शख्स सेल्फ आइसोलेशन से निकलता है, तो इस एप की मदद से उसका भी पता लगाया जा सकता है।

इसी तरह, आईआईटी बंबई के छात्रों और पूर्व छात्रों की एक टीम ने ‘‘कोरेनटाइन’’ नामक एक मोबाइल ऐप बनाया है जो कोरोना वायरस के लक्षण वाले या वायरस के संपर्क में आये संदिग्ध लोगों को ट्रैक करने में मदद करेगा। अगर कोई व्यक्ति अपने पृथकवास से बाहर निकलता है तो ऐसे में इस ऐप के जरिये उस व्यक्ति का पता लगाया जा सकता है।

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Cyber Crime

21वीं सदी में तकनीक का विकास काफी तेजी से हो रहा है। इससे एक तरफ जहाँ लोगों की जिंदगी काफी आसान हो रही है, तो दूसरी तरफ साइबर क्राइम (Cyber Crime) का मामला दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। 

यह एक ऐसा मामला है जिसकी रोकथाम किसी भी सरकार या देश के लिए आसान नहीं है। आलम यह है कि लोगों के लिए अपनी व्यक्तिगत जानकारियों को भी ऑनलाइन धोखेबाजी से बचाना काफी मुश्किल होता जा रहा है।

आइए, आज हम आपको बताते हैं कि आप अपने किसी पुराने नंबर से अपनी जानकारियों को कैसे सुरक्षित कर सकते हैं। जैसा कि आपका कोई भी पुराना नंबर आपके सोशल मीडिया अकाउंट से लेकर ऑनलाइन बैंकिंग से जुड़ा रहता है और इसकी वजह से खतरों की संभावना भी बढ़ जाता है।

Cyber Crime

बता दें कि आज यदि कोई नया सिम कार्ड लेते हैं, तो कोई भी टेलीकॉम कंपनी आपके पुराने नंबर को रीसाइकिल कर देती है और उस नंबर को किसी दूसरे उपभोक्ता को बेच देती है। कंपनियां ऐसा अपने नंबर सीरीज को रोकने के लिए करती है। 

अब ऐसी स्थिति में उस नंबर के जरिए, सामने वाले व्यक्ति के लिए उस नंबर से जुड़े किसी भी अकाउंट को एक्सेस करना काफी आसान हो जाता है। ऐसे में आपको भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि यदि आप साइबर क्राइम (Cyber Crime) के इन संभावित खतरों से बचना चाहते हैं, तो आपको अपना नया नंबर लेते ही, सभी डिजिटल अकाउंट पर अपडेट करना चाहिए।

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